रविवार, 20 जून 2010

जरुरत है जरुरत के प्रति सचेत होने की

इस ब्लॉग का प्रणयन सिर्फ सामाजिक समाचारों और रीत-कुरीतियों पर लफ्फाजी के लिए नहीं हुआ है. न इतिहास पर इतराने के लिए नए सिरे से प्रयास किया जा रहा है. इस के निहितार्थ सिर्फ इतने ही नहीं हैं. हाँ, हम समाज की मुख्यधारा से बाहर नहीं निकलेंगे, यह तय है लेकिन नई जरूरतों पर संजीदा होकर आगे बढ़ेंगे. वस्तुत: यह ब्लॉग क्या होना चाहिए के सवाल से शुरू होते हुवे क्या किया जा सकता है की ओर बढेगा.
हमारा ध्येय जुडाव को परिभाषित करना है. हम कहाँ हैं और जहाँ हैं वहां बैठे अपनों के लिए क्या कर सकते हैं, यह हमारी मंशा है. इस के अलावा बहुत कुछ करेंगे...अपने लिए..अपनों के लिए...अपनापे के लिए...अपनेपन से
निश्चित रूप से आप का साथ, सुझाव और समर्थन अपरिहार्य है लेकिन सबसे बड़ी जरुरत जो है वो अपनी जरूरतों के प्रति सचेत होने की है. प्रयास शुरू हो गए हैं इसे सिरे चढ़ाना है

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